Mutual Funds : Budget 2024 में Section 80C की लिमिट बढ़ने से इस म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों को होगा फायदा! जानिए इसके बारे में

Mutual Funds : अगर वित्त वर्ष 2025 के केंद्रीय बजट में Section 80C की लिमिट को बढ़ा दिया जाता है तो इस म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए काफी खुशी की बात हो सकती है। आइए जानते हैं इस म्यूचुअल फंड तथा बजट में सेक्शन 80C की लिमिट बढ़ने से इससे होने वाले फायदे को।

ELSS Mutual Funds

Mutual Funds : आज मंगलवार, 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन लोक सभा में वित्त वर्ष 2025 के लिए बजट को पेश करने वाली हैं। इस बजट को लेकर पहले से ही शेयर बाजार उत्साहित दिखाई दे रहा था तथा इसमें लगातार तेज़ी देखी जा रही थी।

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शेयर बाजार के साथ ही इस बजट का इंतजार म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों को भी है। इस बार के बजट में वित्त मंत्री मिडिल क्लास के लिए भी कुछ बड़ी घोषणाएं कर सकती हैं तथा खबर यह आ रही है कि इस बार के बजट में Section 80C की लिमिट को भी बढ़ाने की घोषणा हो सकती है।

अगर ऐसा होता है तो म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए बड़ी खुशी की बात हो सकती है। Section 80C की लिमिट बढ़ने से ईएलएसएस म्यूचुअल फंड्स (ELSS Mutual Funds) में निवेश करने वाले निवेशकों को फायदा हो सकता है। आइए जानते हैं इस म्यूचुअल फंड तथा बजट में इस लिमिट के बढ़ने से होने वाले फायदे को– 

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कैसे होगा फायदा?

बजट 2024 में Section 80C की लिमिट बढ़ने से इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम म्यूचुअल फंड्स (ELSS Mutual Funds) में निवेश करने वाले निवेशकों को फायदा हो सकता है क्योंकि इससे उन्हें टैक्स को बचाने तथा निवेश को बढाने के लिए बेहतर अवसर मिलेंगे।

क्लियर के सीईओ अर्चित गुप्ता Section 80C की इस स्थिर सीमा को संशोधित करने की बात कहते हैं जो 2014 से इनफ्लेशन के साथ तालमेल नहीं रख पाई है।

वह कहते हैं कि ऐसा करने से करदाताओं को इनफ्लेशन के प्रभाव को कम करने तथा ईएलएसएस, टैक्स सेवर एफडी और पीपीएफ जैसे आवश्यक वित्तीय साधनों में बचत और निवेश को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी। यह कदम पूरे भारत में वित्तीय लचीलापन और समृद्धि को बढ़ावा देने के एक व्यापक उद्देश्य का भी समर्थन करता है।

वहीं, विभवंगल अनुकूलकारा प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक और मैनेजिंग डायरेक्टर सिद्धार्थ मौर्य ने भी सरकार को आगामी बजट में सेक्शन 80C की सीमा बढ़ाने पर विचार करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि इस लिमिट को बढ़ाने का यह एडजस्टमेंट, जो काफी लंबे समय से लंबित है, मध्यम वर्ग को महत्वपूर्ण राहत प्रदान करेगा जो बढ़ती लागतों और अपर्याप्त कर छूटों से जूझ रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि इसकी लिमिट बढ़ने से मिडिल क्लास के ऊपर पड़ने वाला टैक्स का बोझ भी कम होगा और व्यक्तिगत और राष्ट्रीय वित्तीय उन्नति के लिए महत्वपूर्ण बचत और निवेश को भी प्रोत्साहित करेगा।

इसके अलावा, यह बीमा, पीएफ और ईएसओपी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी अधिक पूंजी को पुनर्निर्देशित करेगा, जिससे वित्तीय बाजारों में औरगहराई आएगी और आर्थिक वास्तविकताओं के साथ तालमेल होगा।

क्या होता है ईएलएसएस म्यूचुअल फंड? 

ईएलएसएस म्यूचुअल फंड का मतलब इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम म्यूचुअल फंड होता है। ईएलएसएस फंड सैलरी कमाने वालों तथा स्वरोजगार करने वालों के लिए निवेश करने के लिए शीर्ष निवेश विकल्पों में से एक है। निवेश की राशि के आधार पर, वे इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत महत्वपूर्ण टैक्स बचत प्रदान करते हैं।

ईएलएसएस फंड इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80C के तहत टैक्स में कटौती के लिए पात्र एकमात्र म्यूचुअल फंड होता है। निवेशक विभिन्न कर-बचत विकल्पों में निवेश करके 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं।

इनके काफी फायदे होते हैं जैसे इनकी केवल तीन वर्ष की लॉक-इन अवधि होती है जो सेक्शन 80C के अन्य निवेशों से कम है। यह इक्विटी बाजारों में निवेश करके उच्च आय की संभावना प्रदान करता है तथा यह फंड्स तीन साल के लिए लॉक हो जाते हैं जिससे वे शॉर्ट–टर्म कैपिटल गेन के लिए अयोग्य हो जाते हैं जिस वजह से इनपर केवल लॉन्ग–टर्म कैपिटल गेन ही प्राप्त किया जा सकता है।

लॉन्ग–टर्म कैपिटल गेन से होने वाली कमाई पर सालाना ₹1 लाख तक की राशि पर कोई टैक्स नहीं लगता है तथा इससे ऊपर की राशि पर सालाना आधार पर 10% की दर से लॉन्ग–टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है।

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Disclaimer : यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है। यह निवेश की सलाह नहीं है। यह आर्टिकल ऊपर बताए गए शेयर में निवेश करने की सलाह नहीं देता। इस आर्टिकल से होने वाले नुकसान के लिए हम तथा एक्सपर्ट/ ब्रोकरेज फर्म/ हाउस जिम्मेदार नहीं होंगे। शेयर मार्केट में निवेश बाज़ार के जोखिमों के अधीन होता है तथा किसी भी तरह का निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें।

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